Sunday 25 July 2021

कारगिल विजय दिवस पर विशेष


                            
26 जुलाई 2021:  🔅कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।
कारगिल विजय दिवस हर साल कारगिल के द्रास क्षेत्र में मनाया जाता हैं. साथ ही यह हमारे देश की राजधानी नयी दिल्ली में भी मनाया जाता हैं, यहाँ इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति स्थल पर देश के भावी प्रधानमंत्री हर साल देश के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं. देश में विभिन्न स्थानों पर स्मरण उत्सव भी मनाये जाते हैं, जिनमें सेनाओं के योगदान और बलिदान को याद किया जाता हैं और उन्हें सम्मानित किया जाता हैं.
26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध में २७०० पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और २५० पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए।
 कारगिल विजय दिवस के 22 साल पूरे हो गए। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय मिली थी, इस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 1999 में करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था, जिसके बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया। ऑपरेशन विजय 8 मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था। 


“ भारतीय सेना द्वारा द्रास में स्थित कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य प्रवेश द्वार ”

प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे ।

वीरता पुरस्कार से सम्मानित हुए जवान

  • अठारहवीं बटालियन, द ग्रेनेडियर्स के सैनिक ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Grenadier Yogendra Singh Yadav) को परमवीर चक्र से नवाजा गया.
  • प्रथम बटालियन, 11 गोरखा राइफल्स के लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे (Lieutenant Manoj Kumar Pandey) को मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया.
  • तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया.
  • तेरहवीं बटालियन, जम्मू कश्मीर राइफल्स के राइफलमैन संजय कुमार (Rifleman Sanjay Kumar) को परमवीर चक्र दिया गया.
  • 17 जाट रेजीमेंट के कैप्टन अनुज नायर (Captain Anuj Nayyar) को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
  • 18 ग्रेनेडियर्स के मेजर राजेश सिंह अधिकारी (Major Rajesh Singh Adhikari) को मरणोपरांत महावीर चक्र दिया गया.
  • 11 राजपुताना राइफल्स के कैप्टन हनीफ उद्दीन (Captain Haneef-u-ddin) को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया.
  • वन बिहार रेजिमेंट के मरियप्पन सरवन (Major Mariappan Saravanan) को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
  • भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ( Squadron Leader Ajay Ahuja) को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया.
  • जम्मू कश्मीर पैदल सेना की 8वीं बटालियन के सैनिक हवलदार चुन्नी लाल (Hawaldar Chuni Lal) को वीर चक्र और सेना पदक दिया गया. वह 2007 में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. जिसके बाद उन्हें नायब सूबेदार के रूप में मरणोपरांत अशोक चक्र भी नवाजा गया.




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